बिलासपुर। साल 2013 में बिलासपुर नगर निगम ने चिल्हाटी में 17 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की शुरुआत कर छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम एसटीपी लगाने का श्रेय भले ही हासिल कर लिया, पर गंदे पानी के फिर से उपयोग करने के मामले में रायपुर एक कदम आगे निकल गया है। रायपुर में नाले के पानी की सफाई कर उसे तालाब में भरने का काम दो जगहों पर चल रहा है। वहीं बिलासपुर में एक तालाब को भरने के लिए गंदे पानी का उपयोग किया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने निकायों को गंदे पानी के दोबारा उपयोग को बढ़ावा देने कहा है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने पहले ही निकायों को नाले, नालियों के गंदे पानी की निकासी नदी, तालाबों में बंद करने के निर्देश दे रखे हैं। इस पर अमल अब किया जा रहा है। इसी वजह से अब छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जुड़ी अरपा, खारुन केलो और शिवनाथ नदी में पहुंचने वाले गंदे पानी के उपचार पर काम चल रहा है। शुरुआत नगरीय निकायों से करना जरूरी है, क्योंकि नदी, तालाबों में सर्वाधिक गंदा पानी शहरों से ही पहुंच रहा है।

इन नदियों में गंदे पानी की निकासी रोकने चल रही कवायद
अरपा, बिलासपुर: 11 नाले, नालियों के पानी को एसटीपी से साफ कर एनटीपीसी को बेचने 81 करोड़ के नाला निर्माण की योजना का डीपीआर तैयार करने के लिए टेंडर जारी।
शिवनाथ, दुर्ग: नगर निगम पुलगांव नाला के इंटेकवेल जहां से शहरवासियों को पानी सप्लाई की जाती है, वहां गंदे पानी की निकासी डायवर्ट करने नाला निर्माण चल रहा। 33 करोड़ के एसटीपी के लिए अलग प्लान बन रहा।
केलो, रायगढ़: रेलवे ब्रिज के पास नाला निर्माण पर रेलवे की आपत्ति के बाद प्लान बदला, अब नदी के नीचे से पाइप लाइन बिछाई जाएगी।
खारुन, रायपुर: निमोरा, चंदनडीह और कारा के पास 210 एमएलडी के प्लांट से गंदे पानी की सफाई कर नदी में प्रवाहित करने का कार्य प्रगति पर।
हसदेव, कोरबा: 58 करोड़ की लागत से एसटीपी लगाकर हर दिन 20 एमएलडी पानी एनटीपीसी को बेचने एमओयू। शासन से प्रशासकीय स्वीकृति शेष।

पचरीघाट में लगेगा एसटीपी
स्मार्ट सिटी ने पचरीघाट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर जवाली नाला के पूरे पानी को स्वच्छ करने की योजना बनाई है। दूसरा प्लांट जतिया तालाब जरहाभाठा में लगाया जाएगा। इसकी क्षमता क्रमश: 5 लाख एवं डेढ़ लाख होगी।

By GiONews Team

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