बिलासपुर– छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल शहर में जमीन के बंदरबांट और इसे लेकर हो रही लड़ाई को लेकर कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला किया, पत्रकारों से चर्चा करते हुए वे अलग अंदाज में दिखे, उन्होंने सरकार और प्रशासन के संरक्षण में भूमाफियाओं के पनपने का आरोप लगाते हुए बिलासपुर को छत्तीसगढ़ की भूमाफियाओं की राजधानी बताया।

पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल आज शहर में भूमफियाओं के बढ़ते हौसलों को लेकर मीडिया के सामने आए, उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में पहले कभी ऐसी अव्यवस्था और अराजक स्थिति नहीं थी जो पिछले ढाई वर्षो में सरकार के ढुलमुल नीति से उत्पन्न हुई है। जिसका परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में गांव, मजरों,टोलो  से लेकर शहर  राजधानी, न्यायधानी में भू माफियाओं  बोलवाला है, और जमीन जायदाद के कारोबार में शासन सत्ता के संरक्षण से आम लोगों का शोषण सामान्य बात हो गई है।

कांग्रेस की सरकार बनते ही 5 डिसमिल से छोटे सौदों  को अनुमति देने से रजिस्ट्री की बाढ़ आ गई। ऑनलाइन रजिस्ट्री के समय बिना बटांकन के रजिस्ट्री की अनुमति दे दी गई जो  सीमांकन संबंधी सारे फसाद की मूल जड़ है।
शासकीय जमीनो की जिला कलेक्टर को 7500 वर्गफीट  नीलामी का अधिकार देकर शासकीय जमीनों की खुली बंदरबांट हो रही है। शासकीय जमीन पर बेजा कब्जा आम बात हो गई है। जहां खाली शासकीय जमीन है, माफियाओं के द्वारा रिकॉर्ड में हेरफेर करा कर स्वयं की जमीन से संबंध बताते हुए ऐसे भूखंडों पर कब्जा किया जा रहा है।
पिछले दिनों गरियाबंद जिले में  राजस्व के पटवारियों की मिलीभगत से तहसील की जमीन को ही बेचने का मामला सामने आया था।

पारदर्शिता और शुचिता के मद्देनजर  भाजपा की सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की थी।  बिना बटांकन के रजिस्ट्री नही की जा सकती थी,इसलिए सीमांकन संबंधी विवाद भी कम थे। कांग्रेस की सरकार ने बिना बटांकन के आनलाइन रजिस्ट्री की अनुमति देकर विवादों को न्योता दिया।बीजेपी के कार्यकाल में भी भू माफिया नियमो को अपने ढंग से लागू कराने के लिए जोर लगाते थे पर उनकी बात बनी नही। ऑनलाइन रजिस्ट्री की पारदर्शी प्रणाली आधारित को परिभाषित प्रक्रिया से विवाद कम होते थे।  भाजपा की सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्री में बटांकन,बी 1 खसरा को अनिवार्य बनाया ,इसके अभाव में रजिस्ट्री नहीं की जा सकती थी।

शासन-प्रशासन के संरक्षण का आरोप
आजकल किराए की जमीन को 10% में खरीद कर शासन सत्ता के संरक्षण में खाली कराने का धंधा जोरों से चल रहा है जिसके कारण भी आए दिन विवाद होते रहते हैं। भूमाफिया भी जोर शोर से सारे विषयो पर छूट  के लिए लगे रहते थे, कांग्रेस  सरकार ने जनता के हित की बजाय भू माफियाओं के संरक्षण में नियमो को परिवर्तित कर दिया जिससे आए दिन विवाद की स्थिति खड़ी होती है। जमीनों पर कब्जे के मामले बढ़ रहे है और अब तो यह कारोबार गैंगवार का स्वरूप ले चुका है। किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना की आशंका सदैव बनी रहती है।

अवैध प्लाटिंग जोरों पर
पूर्व मंत्री ने कहा, शहर में अवैध प्लाटिंग का काम जोरो से चल रहा है बिना लेआउट,बिना  डायवर्शन के लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं और अपनी जीवन भर की कमाई मध्यम वर्ग के लोग ऐसे धंधे वालों के चपेट में आकर व्यर्थ कर रहे हैं। उक्त मामले में दर्ज प्रकरणों पर कार्यवाही केवल कागजो में हो रही है।
नदी नालों के किनारे ग्रीन बेल्ट की जमीन को भी निजी जमीन बताकर निर्माण किये जाने के मामले सामने आए हैं (सकरी गोकना नाला वाला मामला आदि अनेक प्रकरण) जिसमें बिल्डरों के द्वारा सार्वजनिक प्रयोजन के लिए विहित जमीन को भी नही छोड़ा जा रहा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री एवं राजस्व मंत्री से आग्रह किया है, कि विभागीय  नियमों में युक्तिसंगत फेरबदल कर उन्हें लोक हितकारी बनाया जाए जिसका लाभ जनता को मिले ना कि माफियाओं को।  बिना किसी अपील के लोगों के भू सौदों के 15- 15 साल पुराने प्रकरणों को खोल कर उन्हें अनावश्यक परेशान न किया जाए। बंदोबस्त लागू होने के समय से शासकीय भूमि का व्यवस्थित चिन्हाकन किया जाए। राजस्व के अधिकारी कर्मी आम जनता के हितार्थ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें और भू माफियाओं के साथ संलिप्त सेवको के विरुद्ध कार्यवाही की जाय।

By GiONews Team

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