लैलूंगा डबल मर्डरकांड का पूरा विश्लेषण : exclusive वीडियो के साथ.. तीन नाबालिग समेत चार आरोपियों ने दिया घटना को अंजाम, एक फरार, तीन नाबालिग गिरफ्तार..

लैलूंगा डबल मर्डर गुत्थी तो सुलझी लेकिन सवाल ज़िंदा है तीन नाबालिग पर क़ानूनी पंजे कितने सख्त है ..

रायगढ़ – लैलूंगा के राईस मिलर और कांग्रेस के एल्डरमेन मदन गर्ग और उनकी पत्नी अंजू देवी की हत्या में शामिल तीन आरोपी पुलिस गिरफ्त में है, जबकि एक अन्य जिसके पास नोटों से भरा बैग है वो अभी फ़रार है। पकड़ाए आरोपी तीन है और तीनों ही किशोर हैं, भारतीय क़ानून व्यवस्था के अनुरुप इन तीनों का मामला किशोर न्यायालय में चलेगा, ये तीनों किशोर संप्रेषण गृह में रहेंगे और यदि यह मान लिया जाए कि सजा हो भी जाएगी तो अधिकतम सजा तीन वर्ष की होगी और उन्हें रिहाई मिल जाएगी।

वह फ़रार आरोपी जिसकी तलाश में रायगढ़ पुलिस जूटी हुई है जिस पर आरोप है कि मदन गर्ग का गला उसने घोंटा और पैसे का एक बैग जो लैपटॉप के बैग सा दिखता है, वो पकड़ाता है तो उसे लूट और हत्या के मामले में अपराध प्रमाणित होने पर चाहे जितनी सजा हो जाए वो न्यायालय के विवेकाधीन है।

किशोरों से पूछताछ के बाद जो ब्यौरा निकलता है वह यह है कि तीनों किशोर जो काम मिल जाए वह कर लेते हैं और जो पैसे आते थे उससे जो उपलब्ध नशा मिल जाए वो करते थे। घटना के एक दिन पहले उन्होंने रेत का काम किया था, याने रेत को गाड़ियों में भरना। उसके बाद उन्हें जो पैसे मिले उससे इन्होंने कोसना (एक क़िस्म की देसी शराब जो चावल से बनती है) पी और वहीं रेत पर सो गए। यह रुटीन में था कि जब भी ये गाँव लौटते पहले बस्ती की ओर रुख़ करते और कुछ न कुछ चुरा लेते। ये उसी आदत के हिसाब से चिखना सेंटर पहुँचे और अंदर घुस कर चोरी करने के बाद स्कुल के पास पहुंचे। वहाँ उन्हें चौथा शख़्स मिला जिसके साथ इन तीनों ने मदन गर्ग के घर जाने का फैसला किया। पुलिस को आशंका है कि वह चौथा शख़्स मृतक के घर से परिचित था। पुलिस जाँच टीम में शामिल अधिकारी ने बताया

“ये चारों अंदर पहुँचे और जब अंदर की अलमारी खोलने लगे तो आवाज़ से पहले महिला उठी और ये तीनों किशोर उस पर झपटे, एक ने पांव पकड़ा एक ने हाथ और तीसरे ने मुँह पर तकिया लगा दबा दिया। इस हलचल में मदन गर्ग की नींद टूटी लेकिन जब तक कि वे कुछ कर पाते चौथे शख़्स ने जो बालिग था उनका गला घोंट दिया”

इसके तुरंत बाद चारों वहाँ से निकले, और एक बैग साथ उठा ले गए जो कि फ़रार चौथे शख़्स ने उठाया जिसमें पैसे थे। इस पूरे मामले में पुलिस को जिस चीज की तलाश थी वह सीसीटीवी फुटेज ही था। पर वो मिल नहीं रहा था, वह मिला चखना सेंटर के भीतर लगे सीसीटीवी से कप्तान अभिषेक मीणा ने शक के आधार पर उन की तलाश कराई और उसके बाद कड़ी दर कड़ी लड़के मिलते चले गए। पुलिस ने तीन किशोर जो कि हत्या में शामिल थे उनके बैग वाले बयान की तस्दीक़ की है और एक अन्य जगह की सीसीटीवी फुटेज में उस बैग के साथ वह फ़रार आरोपी दिख गया है।

जाँच में जुटे पुलिस अधिकारी की यह बात बेहद गौरतलब है जो किशोरों की मानसिक स्थिति को और स्पष्ट करती है

“उन्हें कोई गिल्ट नहीं है.. वे सहजता से हत्या कैसे किए .. कैसे अंदर गए कैसे बाहर निकले.. सब कुछ बता गए.. पर जहां वे चुप हो गए वो मसला चौथे बंदे और रक़म की जानकारी का था.. वे इस मसले पर कुछ भी कहने बोलने तैयार नहीं थे.. पर धीरे से एक टूटा और फिर तीनों ने अलग अलग कर के ब्यौरा दे दिया”

इस पूरे मसले पर कल रायगढ़ पुलिस प्रेस कॉफ्रेंस करने जा रही है। लिहाज़ा अधिकृत रुप से कई सवालों के जवाब कल ही मिलने हैं लेकिन कप्तान अभिषेक मीणा ने यह जरुर कहा

“सीसीटीवी फुटेज की प्वाईंट था.. कोई इंकार नहीं कि यदि वो नहीं मिलता तो यह केस सुलझाने में पुलिस को और कितना इंतज़ार करना पड़ता कहना मुश्किल है. एक पुलिस अधिकारी के रुप में यह कह सकता हूँ कि अपराधी मिलते जरुर.. पर कितना वक्त लगता यह नहीं पता होता.. सीसीटीवी फुटेज प्लेटिनम की (चाभी) साबित हुई”

बहरहाल हत्यारे पुलिस गिरफ्त में है लेकिन फिर वही सवाल सामने आ गया है कि सजा हो भी गई तो इन तीनों के लिए उसके प्रावधान अधिकतम तीन बरस के हैं, उसके बाद ? दिल्ली के निर्भया केस में सबसे ज़्यादा दरिंदगी करने वाला नाबालिग था और तब भी यह सवाल खूब उछला था वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अंबस्ट कहते हैं

“ठीक है कि अपराध हुआ है, लेकिन केवल इन तीन को दृष्टिगत रखते हुए क़ानून को कैसे बदला जाए, ऐसे कई दृष्टांत है जहां बच्चों से अपराध हुए उन्हें सजा भी हुई पर वे जब बाहर आए तो पुलिस के सबसे बड़े सहयोगी और जवाबदेह नागरिक भी बने.. क़ानून बहुत सोच समझकर बनाया गया है, यह जरुर देखने की बात है कि जिस संप्रेक्षण गृह में रखा जा रहा है वहाँ उन्हें कैसा माहौल मिलता है.. अंततः यह परिवार के साथ साथ समाज और तंत्र की भी जवाबदेही है”

GiONews Team

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