खैरागढ़ उपचुनाव :पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के इलाके में होगा चुनाव…. सी एम भूपेश जीतना चाहेंगे रिकॉर्ड तोड़ लगातार चौथा बाई इलेक्शन।

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में हो रहा खैरागढ़ विधानसभा उप चुनाव यहां के राजनीतिक दिग्गजों की साख का लिटमस टेस्ट साबित होने जा रहा है। इस चुनाव में हार या जीत से सरकार की सेहत पर फर्क नहीं पड़ने वाला। लेकिन इसकी हार अथवा जीत का राजनीतिक संदेश दूर तक असर कर सकता है। ऐसे में सरकार और विपक्ष दोनों फिलहाल इसे हल्के में लेने को तैयार नहीं हैं।
खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव की अधिसूचना जारी हुए तीन दिन हो चुके हैं। अभी तक कांग्रेस, भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने अपना पत्ता नहीं खोला। यह अलग है कि कांग्रेस और भाजपा दाेनों की चुनाव समिति प्रत्याशियों के नामों की छंटनी कर अपनी मर्जी हाईकमान को भेज चुकी है। कहा जा रहा है कि होली की वजह से उम्मीदवारों के नाम नहीं आए हैं। एक-दो दिन में उम्मीदवारों के नाम जारी हो जाएंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि उनकी ओर से कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार है। बताया जा रहा है, खैरागढ़ उप चुनाव का जिम्मा खुद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उठाया है। उनके कहने पर ही उनके नजदीकी प्रदेश उपाध्यक्ष खूबचंद पारख को चुनाव प्रभारी बनाया गया है। जानकारों का कहना है, इसकी एक बड़ी वजह है। अभी तक सभी बड़े राजनीतिक फैसले रमन सिंह की मर्जी से ही होते आए हैं। खैरागढ़ रमन सिंह का प्रभाव क्षेत्र है। राजनांदगांव जिले से वे और उनके बेटे अभिषेक सिंह सांसद रह चुके हैं। ऐसे में अगर उप चुनाव में भाजपा की जीत होती है रमन सिंह के राजनीतिक भविष्य के लिए ठीक होगा। लेकिन अगर पार्टी चुनाव हार जाती है तो उसका नुकसान संगठन में सक्रिय रमन सिंह विरोधी गुट को हो सकता है।
जीत का सिलसिला बरकार रखने उतर रही कांग्रेस……
इधर कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए तीन उप चुनाव भारी अंतर से जीत चुकी है। चित्रकोट, दंतेवाड़ा और मरवाही विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस लगातार जीती है। ऐसे में सरकार खासकर मुख्यमंत्री पर लगातार चौथी जीत का दबाव भी है। अगर ऐसा होता है 2023 के विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में होगी। सरकार के सामने यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि कोई सत्ता विरोधी लहर शुरू हुई भी है या नहीं। यह चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राष्ट्रीय राजनीति में दावेदारी अधिक मजबूत हो सकती है।
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का असर भी दिखेगा!
भाजपा को उम्मीद है कि खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में पांच राज्याें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के विधानसभा चुनाव के परिणाम भी असर दिखाएंगे। इनमें से चार राज्यों में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है वहीं कांग्रेस से पंजाब छिन गया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां दूसरे राज्यों से अलग है। यहां उन चुनावों का कोई असर नहीं दिखने वाला।
यहां 24 मार्च तक नामांकन होगा, 12 अप्रैल को मतदान…..
निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के मुताबिक उप चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 17 मार्च को अधिसूचना के प्रकाशन के साथ ही शुरू हो चुकी है। नामांकन की आखिरी तारीख 24 मार्च निर्धारित की गई है। 25 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 28 मार्च तक प्रत्याशियों को अपने नाम वापस लेने का मौका दिया जाएगा। उसके बाद वैध प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया जाएगा। खैरागढ़ सीट पर मतदान 12 अप्रैल को होना है। 16 अप्रैल को मतगणना और परिणाम जारी होंगे।
पिछली बार जकांछ के कब्जे में थी सीट…….
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के देवव्रत सिंह ने इस सीट पर भाजपा की कोमल जंघेल को केवल 870 वोटों के अंतर से हराया था। नवम्बर 2021 में देवव्रत सिंह का निधन हो गया। इसके बाद से यह सीट खाली है। 2013 में कांग्रेस के गिरवर जंघेल यहां से विधायक थे। 2007 के उपचुनाव और 2008 के आम चुनाव में भाजपा के कोमल जंघेल ने यह सीट जीती। इससे पहले कांग्रेस के देवव्रत सिंह यहां से विधायक हुआ करते थे।