साऊथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने बंद की थी 243 यात्री गाड़ियां…..65 पैसेंजर…..22 मेल-एक्सप्रेस नहीं लौटी।

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन में कोरोना काल के बाद 243 में से 87 ऐसी ट्रेन हैं, जो अब तक पटरी पर नहीं आ पाई है। इसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, यात्री सुविधाओं को लेकर रेलवे गंभीर नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि कोरोना संक्रमण के बाद स्थिति सामान्य होने के बाद भी कई ट्रेनें शुरू नहीं की जा रही हैं। इधर, रेलवे प्रशासन का दावा है कि 90 फीसदी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है और प्रत्येक रेलवे स्टेशन में यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनें शुरू कर दी गई हैं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन से कोरोना काल के पहले 343 यात्री ट्रेनों का परिचालन किया जाता रहा है। इसमें 200 मेल एक्सप्रेस और 143 पैसेंजर ट्रेनें शामिल हैं। कोरोना काल में जब मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा, तब सभी ट्रेनों को बंद कर दिया गया। फिर बाद में कुछ गाड़ियों को स्पेशल ट्रेन का नाम देकर जरूरी गाइडलाइन के अनुसार शुरू किया गया। इसमें ज्यादातर एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल थीं। जैसे-जैसे कोरोना का संक्रमण कम हुआ, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई। हालांकि, इन ट्रेनों को छोटे स्टेशनों में स्टॉपेज नहीं दिया गया। कुछ माह पहले रेलवे ने सभी ट्रेनों को शुरू करने रिशिड्यूल करने का ऐलान किया था। इसके लिए PRS सिस्टम को अपग्रेड करने की बात भी कही गई। बावजूद इसके बीते दो साल से तकरीबन 87 ट्रेनों का परिचालन ठप है, जिसे रेलवे प्रशासन अब तक पटरी पर नहीं ला पाई है।

बंद गाड़ियों में 65 पैसेंजर और 22 एक्सप्रेस
रेलवे प्रशासन का दावा है कि कोरोना का प्रभाव कम होने के साथ ही यात्रियों की डिमांड के अनुसार ट्रेनों को रिशेड्यूल किया गया है। लेकिन, अभी भी 65 पैसेंजर ट्रेन और 22 मेल एक्सप्रेस अब तक शुरू नहीं की गई है। इसका सीधा असर गरीब और सामान्य वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है और उन्हें यात्रा करने में दिक्कतें हो रही है।

छोटी स्टेशनों के यात्रियों को नहीं मिल रही सुविधाएं
रेलवे ने भले ही आम लोगों की सुविधाओं के लिए ट्रेनें शुरू करने का दावा किया है। लेकिन, जिस तरह से एक्सप्रेस गाड़ियों का परिचालन शुरू किया है और छोटी स्टेशनों में स्टॉपेज बंद कर दिया है। इससे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को ट्रेन सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ रहा है।

रेल रोको आंदोलन का भी नहीं हुआ असर
बिलासपुर के करगीरोड कोटा के साथ ही अंबिकापुर में पैसेंजर ट्रेनों को शुरू करने के लिए रेल रोको आंदोलन किया गया था। कोटा के स्थानीय नागरिकों ने लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन और हड़ताल किया। इसके बाद उन्होंने रेल रोको आंदोलन भी किया था। इसके साथ ही अंबिकापुर में जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय लोगों ने ट्रेन सुविधा शुरू करने की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन किया था। बिलासपुर लोकसभा सांसद अरूण साव ने भी प्रतिनिधिमंडल के साथ DRM से मुलाकात की थी और जनसुविधाओं का ख्याल रखते हुए छोटी स्टेशनों में ट्रेनों को स्टॉपेज देने की मांग की थी। लेकिन, इसके बाद भी रेलवे के रवैए में सुधार नहीं हो पाया है।

हाईकोर्ट में लंबित है याचिका
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने ट्रेनों की सुविधाएं बंद करने और स्पेशल ट्रेन के नाम से किराया बढ़ाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में अभी सुनवाई चल रही है। याचिका में रेलवे ने पूर्व में अपने जवाब बताया था कि कोरोना संक्रमण कम होने के साथ ही ट्रेनों को रिशिड्यूल किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर ही छत्तीसगढ़ के छोटी स्टेशनों के लिए पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया था। लेकिन, अब तक 87 ट्रेनों को शुरू नहीं किया गया है। अब याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने के लिए कोर्ट से आग्रह करने की बात कही है।

सीनियर PRO बोले- शुरू की गई है 90 फीसदी ट्रेनें
रेलवे के सीनियर PRO संतोष कुमार का कहना है कि कोरोना काल के बाद करीब 90 फीसदी ट्रेनों को शुरू किया गया है। रेलवे की कोशिश है कि हर स्टेशन में ट्रेनों की सुविधा मिले और हर स्टेशन में ट्रेनें चल रही है। ट्रेनों के परिचालन और रिशिड्यूल का काम रेलवे बोर्ड के आदेश पर होता है।

GiONews Team

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