बुजुर्ग महिला की लाश जीआरपी पुलिस की संवेदनहिता की चढ़ी भेट, कई घंटों तक नाली के पास पड़ा रहा शव…

बुजुर्ग महिला की लाश जीआरपी पुलिस की संवेदनहिता की चढ़ी भेट, कई घंटों तक नाली के पास पड़ा रहा शव…

बिलासपुर – बिलासपुर में शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है जिसमें जीआरपी पुलिस की घोर लापरवाही देखने को मिली जिससे इंसानियत तार तार होते नजर आ रही है।

दुनिया छोडने के बाद सभी का सामान अधिकार होता है. कि उसकी अंतिम विदाई सम्मानजनक हो, वो फिर कही का राजा हो या रंक. लेकिन कई बार ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जो अंदर तक झकझोर कर रख देती है. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के रेलवे स्टेशन और जोन मुख्यालय में ऐसी ही संवेदनहिता देखने को मिली जो यह पूछने पर मजबूर कर देती है. क्या किसी की अंतिम विदाई से पुलिस को कोई मतलब नहीं है. और क्या पुलिस वालों का काम ऐसा हो गया है कि उनके अंदर की मानवता मर गई है. बिलासपुर स्टेशन में भीख मांग कर जीवन यापन करने वाले एक महिला की लाश आज जीआरपी पुलिस को सुबह मिले जिसके बाद उन्होंने इस तरह की लापरवाही दिखाई की जितनी भी आलोचना की जाए वह कम होगी.

मिली जानकारी के अनुसार स्टेशन भीख मांगकर जीवन यापन करने वाली महिला की जीवन लीला आज समाप्त हो गयी. उनकी आत्मा भले ही परमधाम को सिधार गयी हो, लेकिन मृत शरीर को जीआरपी पुलिस की असंवेदनशीलता का कहर भुगतान बाकी था, जीआरपी में एसआई राठौर ने बताया कि. मृतक के मामले का जांच अधिकारी देव सिंह नेताम है. असंवेदनशील प्रधान आरक्षक नेताम ने लाश कपड़े में लपेटकर जीआरपी थाने के प्रांगण में चींटियों के लिए छोड़ दिया।

जैसी ही मीडिया के कैमरे की नज़र लाश पर पड़ी तो थाने में हड़कंप मच गया. इतना ही नहीं थाना प्रभारी अनुपस्थिति में चार्ज सम्भाल रहे राठौर ने जवाब देने से मना करते हुए कहा कि. इस बात की मुझे जानकारी नहीं है. वहीं जीआरपी के प्रांगण में सुबह से पड़ी हुई लाश पर चीटिंयां लग चुकी थी.. जैसी ही हमने वीडियो बनाने की कोशिश की तो जांच प्रभारी मौके पर पहुंच गए और कहने लगे कि. गाड़ी यहां गई थी वहां गई थी. मृतक की शिनाख्त की जानकारी मांगने पर प्रधान आरक्षक ने साफ इंकार कर दिया और अपने साथियों से कहने लगे कि जो छापना है छापने दो. इसके बाद आनन फानन में पुलिस वालों द्वारा गाड़ी को बुलाया गया और गाड़ी में शव को डालकर ले जाया गया. इस सबके बीच सबसे बड़ी बात यह रही कि. थाने में न तो कोई जवाबदार में न तो कोई जिम्मेदार, जो थे वो अपना पल्ला झाड़कर भागते नज़र आये. इन सबके बीच बड़ा सवाल ये उठता है कि. अगर यहीं शव किसी पुलिस वाले का परिचित का होता तो इस स्थिति में पुलिस वाले उसे वहां पड़े रहने देते.

GiONews Team

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