कोरोना वायरस का मतलब मौत नहीं.. 80 प्रतिशत को हॉस्पिटल में नहीं होना पड़ता भर्ती..
कोरोना वायरस…दुनिया में डर का दूसरा नाम बन गया है। इस वायरस का संक्रमण जिस तेज गति से फैल रहा है वह जरूर भयभीत करने वाला है, लेकिन कोरोना का मतलब जिंदगी खत्म होना नहीं है। दुनिया में अभी तक करीब 7 लाख 22 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हैं, जिनमें से 33 हजार लोगों की जान गई है, तो 1 लाख 51 हजार लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।
विश्व के संक्रमित देशों में 5 लाख 36 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है, उसमें से 5 लाख 9 हजार यानी 95 फीसदी में बीमारी कम या मध्यम दर्जे की है। 5 पर्सेंट मरीजों यानी 26 हजार की स्थिति गंभीर है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है, कि कोरोना से संक्रमित अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं।
भारत में कितने लोग ठीक हुए
भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 106 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके बाद कोविड-19 के मामले 1173 पहुंच गया है। जिनमें से 29 की मौत हो गई है। 102 मरीज ठीक हो चुके हैं, और 1042 का इलाज चल रहा है।
80% को अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना संक्रमित 80 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। लोग हल्का बुखार महसूस करते हैं और वे जल्द ठीक हो जाते हैं जबकि 20 प्रतिशत लोगों में सर्दी, जुकाम, बुखार जैसे गंभीर लक्षण दिखते है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है। अस्पताल में भर्ती होने वालों में महज 5 प्रतिशत को ही सर्पोटिव ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है जिसमें नई दवाएं दी जाती हैं।
इन्हें अधिक खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के मामलों के अध्ययन के बाद रिपोर्ट दी कि कोरोना वायरस उन मरीजों के लिए अधिक घातक साबित हो रहा है, जो पहले से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। दिल के मरीज, डायबिटीज, कैंसर जैसे रोगों से पीड़ित लोग या बुजुर्गों को कोरोना से अधिक खतरा है, क्योंकि ऐसे लोगों की रोग से लड़ने की क्षमता पहले से ही कमजोर होती है।
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